Garibi ke aachran books and stories free download online pdf in Hindi ग़रीबी के आचरण (4) 1.7k 6.1k इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। जो भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है। इंसान से जुड़ी कुछ ख़ास चीज़ें मैं आपको इस उपन्यास के द्वारा समझाने की कोशिश करूँगा। हर इंसान के जीवन में बहुत-सी चीज़ें होती हैं। जैसे कि हमारे पड़ोसी श्रीकान्त अंकल जी के जीवन में थी। ये घटना सन् 1967 के क़रीब की है जब श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के मकान में रहते थे। दरअसल, उनके परिवार में उन्हें मिलाकर कुल पॉंच सदस्य थे। एक तो श्रीकान्त अंकल जी की मॉं , एक उनकी पत्नि , दो उनके बच्चे (रोहन और सोहन) , और एक श्रीकान्त अंकल जी खुद। श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार वालो से अत्याधिक प्रेम करते थे।एक बार श्रीकान्त अंकल जी सुबह टहलने के लिए घर से कुछ दूरी पर एक पार्क में गये, और वहॉं जाकर पहले तो उन्होने कुछ देर तक व्यायाम किया। और फिर उसके बाद वहॉं से घर के लिए चल दिये। वो घर आने के लिए आघे रास्ते में ही पहुँचे थे कि अचानक उन्हें क्या हो गया कि एकदम से वो नीचे ज़मीन पर गिर गये। और गिरने के कारण उनके सिर में चोट लग गयी। जिससे कि उनके सिर में से बहुत ख़ून निकल रहा था। और ख़ून कुछ ज़्यादा ही निकल गया। जिसके कारण श्रीकान्त अंकल जी बेहोश हो गये। काफी देर तक वो वहीं बेहोशी की हालत में पडे रहे। बहुत लोग उनके पास से गुज़रे लेकिन किसी ने भी उनकी मदद् नही की। एक व्यक्ति ने उनकी मदद् करने की कोशिश भी की, तो वहॉं खड़े कुछ लोगो ने उसे भी ये कहकर मदद् करने से रोक दिया कि 'अरे भईया इसे यहीं पडे रहने दो, ये पुलिस केस है और आप इस चक्कर में क्यों पड रहे हो.?' तो वो व्यक्ति भी जिसने श्रीकान्त अंकल जी की मदद् करने के लिए उनका सिर अपनी गोद में रखा हुआ था। वो भी उन्हें उनकी बेहोशी की हालत में छोड़ कर उठ खड़ा हुआ। और एक-एक करके सभी लोग वहाँ से जाने लगे। और उसके बाद लोग वहाँ आते , और श्रीकान्त अकंल जी की हालत देख कर चले जाते। क़रीब एक से ढेड़ घण्टें तक यही सिल-सिला चलता रहा। फिर काफ़ी देर बाद श्रीकान्त अंकल जी को थोड़ा होश आया। कुछ देर तक वो आँखें खोल कर ये देखते रहे कि लोग आ जा रहे हैं पर कोई भी उनकी मदद् नही कर रहा है। लोगो का इस तरह व्यवहार देख कर हमारे श्रीकान्त अंकल जी की आँखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी। वो रोते समय ये सोच रहे थे कि ' कैसा समय चल रहा है ये यहॉं कोई भी किसी ज़रूरतमंद की मदद् नही करना चाहता है। काफ़ी देर तक लोगो से मदद् की अास लगाए श्रीकान्त अंकल जी स्वयं ही उठने का प्रयास करने लगे। सभी लोग जो उस दौरान वहॉं मौज़ूद थे। किसी ने भी उन्हें उठाने में उनकी मदद् नही की। क्योंकि सब को डर था कि एक तो पुलिस का लफ़डा और दूसरा अस्पताल का ख़र्चा, जिसके कारण कोई भी श्रीकान्त अंकल जी की मदद् करने के लिए तैयार नही था। काफ़ी कोशिशो के बाद श्रीकान्त अंकल जी अपने पैरो पर खडे होकर स्वयं ही अपने घर की ओर चल दिए। लेकिन घर पहुँचने से पहले ही रास्ते में श्रीकान्त अंकल जी को उनका बड़ा बेटा रोहन मिल गया। और उसने अपने पिताजी को इस हालत में देखा तो वो सिर पैर तक पूरा सिहर गया। वो जल्दी से दौड़ कर अपने पिताजी के पास पहुँचा और उनसे उनकी इस हालत का जायज़ा लिया। श्रीकान्त अंकल जी ने कहा ' कुछ नही, छोटा-सी चोट है, घर चलकर दवा-मल्हम करेंगे। तो चोट ज़ल्द ही ठीक हो जाएगी।' और उसके बाद रोहन अपने पिताजी को लेकर अपने घर आ गया.।मंजीत सिंह गौहर › Next Chapterग़रीबी के आचरण - २ Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Manjeet Singh Gauhar Follow Novel by Manjeet Singh Gauhar in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 6 Share NEW REALESED Short Stories હર્ષનું જળબિંદુ Sagar Mardiya Love Stories કૉલેજ કેમ્પસ (એક દિલચસ્પ પ્રેમકથા) - 106 Jasmina Shah Science-Fiction ચિત્રકારનો જાદુ Niky Malay Adventure Stories સફરમાં અપરિચિત વ્યક્તિની મુલાકાત .. (રહસ્ય કથા) - 8 Dhruvi Kizzu Moral Stories તારી પીડાનો હું અનુભવી - ભાગ 3 Dada Bhagwan Classic Stories શંખનાદ - 11 Mrugesh desai Women Focused એક ષડયંત્ર.... - ભાગ 10 Mittal Shah Adventure Stories અપહરણ - 5 Param Desai Spiritual Stories ગરુડ પુરાણ - ભાગ 15 MB (Official) Love Stories શું ભૂલ મારી.. Hitesh Parmar